New Delhi News, 27 March 2018 ; सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के समान कार्य के बदले समान वेतन के मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। बिहार सरकार से कोर्ट ने कहा कि आप शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाएं फिर हम विचार करेंगे। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार के शिक्षकों का वेतन बढ़ता है तो अन्य राज्य से भी ऐसी मांग उठेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को शिक्षकों के वेतन के लिए नयी स्कीम लाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्कीम लाने का समय दिया है। अब 12 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होगी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, बिहार में करीब 3.5 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं। शिक्षकों के वेतन का 70 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है। वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20-25 हजार रुपए वेतन मिलता है। अगर समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग मान ली जाती है तो शिक्षकों का वेतन 35-44 हजार रुपए हो जाएगा।
चपरासी का वेतन टीचर्स से ज्यादा क्यों?
नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था जब चपरासी को 36 हजार रुपए वेतन दे रहे हैं, तो फिर छात्रों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को मात्र 26 हजार ही क्यों? इसके पहले 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर राज्य सरकार को झटका दिया था। कोर्ट ने तब सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि नियोजित शिक्षकों को सरकार कितना वेतन दे सकती है? इसके लिए लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी तय कर बताए।