अरुणोदय उत्कर्ष न्यूज, फरीदाबाद, 6 जनवरी 2021-पीयूष गोयल जो पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट है और देश के केंद्रीय रेल मंत्री भी है। एक ऐसा विवादित व्यक्ति जिसे खेती बड़ी का कोई अनुभव भी नही है, हिंदी भी ठीक से नही बोल सकता है वो आज किसान आंदोलन की मांगो को लेकर केंद्र सरकार की पैरवी कर रहा है। बरहाल उससे भी देश के नागरिकों को और किसान आंदोलनकारियो कोई गुरेज नही है क्योंकि वो केंद्र सरकार के नुमाइंदे है। किसान आंदोलन का कोई समाधान निकले उल्टा किसानों को सत्ता मद में धमका रहे हो तब संवाद से समाधान निकले इसकी उम्मीद कम ही है।वो खेती बाड़ी पर किसानो को ज्ञान तो बांट रहे है ही साथ मे अहंकार और सत्ता मद में धमकी भी दे रहे है। जो निकट भविष्य में केंद्र सरकार को भारी भी पड़ सकता है। ये अहंकारी मंत्री ये भी भूल गया कि देश के नागरिको की राय किसी भी पार्टी के प्रति सिर्फ 3 से 4 दिनों में बदल जाती है। इसका उदाहरण कांग्रेस पार्टी है। 130 वर्ष की उम्र में कांग्रेस को जड़ो सहित उखाड़कर फेंक दिया था 2014 में ! याद रहे ये वही देश के नागरिक है।भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को सलाह है कि किसानों के प्रति संयम से काम ले सत्ताधरी पार्टी, किसान संगठन राजनैतिक पार्टी नही है। इसलिए अपनी वाणी पर लगाम लगा कर बात करे और संयम से बयान दे।लोकतंत्र में जब कमजोर विपक्ष हो और अन्याय हद से ज्यादा बढ जाय तो देश के नागरिकों को आगे बढ़कर मोर्चा संभालना पड़ता है आज उसी की उपज़ है किसान आंदोलन।धमकी और दादागिरी से समाधान नही निकलता है। संवाद और समर्पण भाव से ही किसानों की परेशानियो का हल निकलेगा।